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मत्स्य पालन विभाग

जनपद में संचालित विभागीय योजनायें

जनपद टिहरी की भौगोलिक स्थितियो के कारण पर्वतीय क्षेत्रों में सीढीनुमा खेतों के रूप में छोटे-छोटे क्षेत्रफल की भूमि उपलब्ध होती है, तथा उपलब्ध भूमि की जलरोधक क्षमता भी कम होती है, जिसके मध्यनजर पर्वतीय क्षेत्रों में कलस्टर आधारित पाॅलीलाईनर कच्चे तालाब निर्मित किये जाने है वर्तमान में जनपद टिहरी में जिला सैक्टर, राज्य सैक्टर, तथा केन्द्र सैक्टर के अन्तर्गत योजनायें संचालित की जा रही है।

जिला सैक्टर अन्तर्गत-

  1. जलाशयों का विकास योजना- इस योजना के अन्तर्गत जनपद में चयनित स्थलों पर जहाॅ पर मात्स्यिकी का निरन्तर ह्रास हो रहा है, उन स्थानों पर मत्स्य बीज का संचय तथा संरक्षण किया जाना है, एवं प्रचार-प्रसार तथा गोष्ठी सम्बन्धी कार्य संचालित किये जाने है।
  2. समन्वित मत्स्य पालन युनिट- जनपद में पूर्व से मत्स्य पालन कार्य कर रहे व्यक्तियों को समन्वित मत्स्य पालन से जोडने हेतु 20 वर्ग मी0 क्षेत्रफल का मुर्गी/बतख बाडा (सैड) हेतु लागत धनराशि 1.40 लाख के सापेक्ष सामान्य वर्ग हेतु 50 प्रतिशत एवं अनुसूचित जाति वर्ग के व्यक्तियों हेतु 60 प्रतिशत अनुदान देय होगा, अन्य अवशेष धनराशि लाभार्थी स्वयं वहन करेगा।
    इसके अतिरिक्त जनपद में, अभिनव पहल के अन्तर्गत ट्राउट इन्डोर हैचरी की स्थापना, बैकयार्ड आर्नामेन्टल यूनिट, बायोफ्लाक यूनिट, मोबाईल फिश आउटलेट, आदि तथा विभिन्न इनपुट जैसे मत्स्य आहार, जाल (नेट कवर), हैण्डनेट, इन्स्यूलेटेड बाॅक्स/क्रेट, मत्स्य बीज, 3 इन्च के एच0डी0पी0पाईप, मिनी आईस मेकर, एरियेटर आदि अनुदानित दरों पर जिलायोजनान्तर्गत उपलब्ध कराये जायेंगे।
  3. मत्स्य उत्पादकता बृद्धि योजना- योजनान्तर्गत निम्न प्रकार के कार्य किये जा रहे हैं।
    • तालाबों का सुधार- योजनान्तर्गत पूर्व में विभाग द्वारा निर्मित 100 वर्ग मी0 के क्षतिग्रस्त तालाबों के सुधार का कार्य किया जाता है, तालाब सुधार हेतु 01 युनिट (100 वर्ग मी0) तालाब की लागत धनराशि रू0 40,000/- (रू0 चालीस हजार मात्र) के सापेक्ष 50 प्रतिशत का अनुदान विभाग द्वारा देय है, एक व्यक्ति को अधिकतम 02 युनिट हेतु लाभान्वित किया जा सकता है।
    • कलस्टर आधारित तालाब निर्माण- विभागीय विभिन्न योजनाओं से एक ही स्थान पर एक साथ अधिकतम व्यक्तियों को पृथक-पृथक जोतों की भूमि पर रोजगार उपलब्ध कराये जाने के उद्देश्य से मत्स्य तालाब कलस्टर निर्मित किये जायेगें, लाभार्थी द्वारा पाॅली लाईनर विधि से कच्चे तालाब तैयार किये जायेगें, तालाब की गहराई न्यूनतम 1.25 मी0 रखी जायेगी। तथा उपलब्ध भूमि के क्षेत्रफल के अनुसार तालाब तैयार किये जायेंगे।
      • तालाब की लम्बाई एवं चौडाई भूमि की उपलब्धता अनुसार रखी जायेगी।
      •  एक व्यक्ति को अधिकतम 500 घन मी0 हेतु अनुदान देय होगा।
      • मत्स्य जीवी सहकारी समिति/फैडरेशन/स्वयं सहायता समूह/संयुक्त देयता समूह/महिला मंगल दल आदि की स्थिति में 100 घन मी0 सदस्यों की संख्या समतुल्य युनिटों हेतु अनुदान देय होगा, जो अधिकतम 1000 घन मी0 के अनुदान हेतु सीमित होगा।

अनुदान व्यवस्था – तालाब को तैयार करने, जलापूर्ति, पाॅलीथीन लागाने हेतु धनराशि रू0 1000 प्रति घन मी0 की दर से कुल लागत के सापेक्ष सामान्य श्रेणी के लाभार्थी को 50 प्रतिशत अनुदान धनराशि तथा अनुसूचित जाति के लाभार्थी को 60 प्रतिशत धनराशि जिलायोजना के माध्यम से उपलब्ध करायी जायेगी।

नोट- मनरेगा योजना से युगपतिकरण करते हुये तालाब निर्माण करने पर सामान्य श्रेणी के लााभार्थी को 30 प्रतिशत अनुदान धनराशि तथा अनुसूचित जाति के लाभार्थी को 20 प्रतिशत अनुदान धनराशि (श्रांमाश एवं सामाग्री) हेतु उपलब्ध करायी जायेगी एवं शेष धनराशि लाभार्थी स्वयं वहन करेगा।

राज्य सैक्टर अन्तर्गत -

  1. अनुसूचित जाति उपयोजना- योजनान्तर्गत अनुसूचित जाति के लाभार्थियों के कलस्टर आधारित पाॅली लाईनर कच्चे तालाबों के निर्माण कार्य किये जायेगें। तालाब को तैयार करने, जलापूर्ति पाॅलीथीन लगाने हेतु 1000 प्रति घन मी0 की दर से कुल लागत के सापेक्ष लाभार्थी को 60 प्रतिशत अनुदान धनराशि उपलब्ध करायी जायेगी।
  2. पर्वतीय क्षेत्रों में आदर्श तालाब निर्माण योजना- इस योजना के अन्तर्गत सामान्य वर्ग के लाभार्थियों के कलस्टर आधारित पाॅली लाईनर कच्चे तालाबों के निर्माण कार्य किये जायेगें। तालाब को तैयार करने, जलापूर्ति पाॅलीथीन लगाने हेतु 1000 प्रति घन मी0 की दर से कुल लागत के सापेक्ष लाभार्थी को 50 प्रतिशत अनुदान धनराशि उपलब्ध करायी जायेगी।
  3.  मत्स्य पालन विविधिकरण योजना- इस योजना के अन्तर्गत अनुसूचित जाति वर्ग के व्यक्ति को ही लाभान्वित किया जाता है। जिस व्यक्ति को विभाग द्वारा संचालित योजना के अन्तर्गत पूर्व में तालाब निर्मित कराया गया हो, को मुर्गी/बत्तख बाडे के निर्माण व निवेश हेतु धनराशि 0.83 लाख देय है। दैवीय आपदा आदि से क्षतिग्रस्त तालाब के सुधार हेतु धनराशि रू0 0.42 लाख देय है।
  4. राज्य मात्स्यिकी इनपुट योजना- इस योजना के अन्तर्गत मत्स्य पालकों को मत्स्य आहार आदि हेतु 50 प्रतिशत विभागीय अनुदान तथा 50 प्रतिशत लाभार्थी द्वारा स्वयं व्यय किया जायेगा।

केन्द्र पोषित योजनायें -

वर्तमान में केन्द्र द्वारा प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना का संचालन किया जा रहा है। प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के अन्तर्गत निम्नलिखित कार्य संचालित किये जा रहे है।

  1. ट्राउट रेसवेज निर्माण– उक्त योजना अन्तर्गत रेसवेज का निर्माण 01 युनिट (25mtX2mtX1.0mt) के आधार पर किया जाता है। मानकों के अनुरूप व्यक्तिगत लाभार्थी को चार युनिट तक का लाभ देय है, तथा समिति को अधिकतम 20 यूनिट तक अनुदान देय है, इस योजना के अन्तर्गत एक यूनिट ट्राउट रेसवेज निर्माण हेतु लागत धनराशि रू0 3.00 के सापेक्ष 40 प्रतिशत अनुदान सामान्य वर्ग एवं 60 प्रतिशत अनुदान महिला/अनुसूचित जाति वर्ग के लाभार्थियों हेतु विभाग द्वारा देय है। निर्मित रेसवेज हेतु मत्स्य पालकों को प्रथम वर्षीय निवेश जैसेमत्स्य आहार, मत्स्य बीज आदि पर लागत धनराशि रू0 2.50 के सापेक्ष 40 प्रतिशत अनुदान सामान्य वर्ग एवं 60 प्रतिशत अनुदान महिला/अनुसूचित जाति वर्ग के लाभार्थियों हेतु विभाग द्वारा देय है।
    प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के अन्तर्गत अन्य गतिविधियोॅ भी सम्मिलित है- जैसे फिश कियाॅस्क, इन्सुलेटेड/रेफ्रिजरेटर वाहन, बैकयार्ड आर्नामेन्टल यूनिट, आर0ए0एस0 यूनिट, बायोफ्लाक यूनिट, ट्राउट हैचरी आदि।

अन्य कार्य

मत्स्य बीज वितरण-
मत्स्य बीज विभाग द्वारा निधारित दरों पर माह जनवरी-फरवरी में ट्राउट एवं माह अप्रैल-जून में कामन कार्प, आमूर कार्प, तथा जुलाई-सितम्बर में भारतीय मेजर कार्प वितरण किया जाता है। इस हेतु बीज मांगपत्र कार्यालय- सहायक निदेशक मत्स्य, टिहरी गढ़वाल में अग्रिम रूप से जमा करवाना आवश्यक है।